स्टार फुटबॉलरों की मौत पर रिसर्च
१० अप्रैल २०१४जारलैंड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर टिम मायर और उनकी टीम इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कुछ फुटबॉलरों को अचानक दिल का दौरा क्यों पड़ जाता है. उनको उम्मीद है कि जो नतीजे निकलेंगे, उससे वे बचाव के रास्ते खोज सकेंगे.
जर्मन टीम पर नजर
मायर जर्मनी की राष्ट्रीय टीम के साथ 2001 से हैं और जब योआखिम लोएव की टीम ब्राजील में वर्ल्ड कप खेलने जाएगी, तो वह भी साथ होंगे. उनका कहना है कि उनका रिसर्च सिर्फ दिल के दौरों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि दूसरी वजहों से होने वाली मौत पर भी नजर रखी जाएगी.
उनका कहना है, "आखिर में, हम जानना चाहते हैं कि क्या इन मौतों के पीछे कहीं फुटबॉल की कोई चीज तो नहीं है. फिर इससे बचाव का रास्ता खोजा जाएगा." मायर का कहना है, "जब भी कोई फुटबॉलर ग्राउंड के बीच में गिरता है, तो यह मीडिया और आम लोगों के लिए कौतूहल की चीज होती है." उनका कहना है कि जर्मनी में हर साल करीब एक लाख लोग दिल के दौरे से जान गंवा बैठते हैं लेकिन इसमें खेल से जुड़े लोगों की संख्या बहुत कम है. आम तौर पर ऐसे मामलों में भी दिल का दौरा खेल के एक घंटे बाद पड़ता है.
सबका रहेगा ध्यान
मायर ने एक डाटा बैंक बनाया है, जिसमें जर्मनी के हृदय रोग संस्थान, कोच, एथलीट, डॉक्टर और यहां तक कि दर्शक भी मौत के मामलों को रजिस्टर कर सकते हैं. युर्गेन शारहाग का कहना है, "ऐसे मामले मर्द और औरतों में अजीब तरह से बंटे हैं. लगभग 90 फीसदी मामलों में मरने वाला मर्द होता है." ऑनलाइन जानकारी में अलग अलग भाषाओं का इस्तेमाल होगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा देश के लोग इस बारे में जानकारी हासिल कर सकें.
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संस्था फीफा को पिछले कुछ समय से अचानक मौत के मामलों से जूझना पड़ रहा है. कैमरून के 28 साल के खिलाड़ी मार्क विवियन फो 2003 में कॉन्फेडरेशन कप के मैच के दौरान ही ग्राउंड पर गिरे और उनकी मौत हो गई. स्पेन के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अंतोनियो पोर्ता को मैच के दौरान दिल का दौरा पड़ा और वे चल बसे. जर्मनी के कार्ल जीस येना 1988 में ट्रेनिंग के दौरान ही दम तोड़ बैठे.
फीफा के मेडिकल प्रमुख जिरी ड्वोराक ने फो की मौत को खतरे की घंटी बताया था. जर्मनी के खिलाड़ी गेराल्ड आसामोआ की दिल की धड़कन नियमित नहीं चलती लेकिन वह मैच खेलते हैं. हाल के दिनों में फुटबॉल स्टेडियमों में किसी खतरे से निपटने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं.
खेल की दुनिया में फुटबॉल को सावधानी और बचाव के लिए भी जाना जाता है. हर खिलाड़ी को हर साल दिल का अल्ट्रासाउंड कराना होता है. इसके बाद ही जर्मनी में उन्हें खेलने का लाइसेंस मिलता है.
एजेए/ओएसजे (डीपीए)